शनिवार, 3 अप्रैल 2010

धर्म का चश्मा भाग-2

धर्म की बात हो और कबीर की चर्चा न हो ऐसा कैसे हो सकता है ।
कबीरदास पढ़े-लिखे नहीं थे। कबीरदास ने खुद कहा...
“मसि कागद छुए नहीं, कलम गही नहीं हाथ”
अर्थात कागज और स्याही कभी छुआ नहीं,कलम को कभी हाथ नहीं लगाया। फिर भी धर्म के बारे में कबीर का दर्शन गजब का था। धर्म में व्याप्त कुरीतियों को लेकर कबीर ने हिंदू-मुस्लिम दोनों को लताड़ा।
हिंदूओं के सिर मुंडा कर लंबी चोटी रखने वाले पंडो और संन्यासियों दोनों को फटकारते हुए कहा
“मुंड मुडाए हरि मिले तो सब कोउ ले मुडाए
बार-बार के मुड मुडाए भेड़ न बैकुंठ जाए”।।
अर्थात यदि सिर मुडा कर और लंबा चंदन लगाने से भगवान मिलने लगे, और भक्त स्वर्ग पहुंचने लगे तो सबसे पहले भेड़ को बैकुंठ मिल जाता। लेकिन बार-बार पूरे बाल मुडाने के बाद भी भेड़ कभी स्वर्ग नहीं जाती।
वहीं दूसरी तरफ मुस्लिमों को लताड़ते हुए कबीर ने कहा कि
“कांकर पाथर जोर कै, मस्जिद लई जुनाए
ता चढ़ मुल्ला बाग दे क्या बहरा हुआ खुदाए”।।
कबीरदास ने कहा की कंकड़, पत्थर जोड़कर मुस्लिम समुदाय के लोग मस्जिद बना लेते हैं, और उसमें बैठकर मुल्ला,मौलवी जोर-जोर से चिल्लाते हैं क्या उनका खुदा बहरा हो गया है ?
पाहन पूजे हरि मिले तो मैं पूजू पहार।
चाकी क्यों नहीं पूजिए, पीस खाए संसार।।
कबीर ने मूर्ति पूजा का विरोध करते हुए करते हुए कहा कि यदि पत्थर पूजने से भगवान मिले तो मैं पहाड़ की पूजा करने के लिए तैयार हूं। यदि पत्थर की पूजा करनी है तो गेहूं पीसने वाले चक्की की पूजा करो जिसमें अनाज पीस कर लोग रोटी खाते हैं।
रोज रखने वाले मुस्लिमों को भी कबीर ने निशाना बनाया और कहा कि....
“दिन को रोज रखत हैं रात हनत हैं गाय”
अर्थात ये मुस्लमान भाई दिन को रोज़ा रखते हैं, थूक तक गले से नहीं निगते पर रात में गाय का मांस खाते हैं ऐसे मुस्लिमों को जन्नत कैसे नसीब होगी ? इतनी ही नहीं कबीर तो यहां तक कह गये कि
“मुसलमान की पीर औरिया मुर्गी मुर्गा खाई।
खाला के घर बेटी ब्याही घर में करे सगाई।।“
कबीर ने कहा कि मुर्गी-मुर्गा खाने वाले मुसलमानों के नाते-रिश्तों की दास्तां निराली है, मौसी की बेटी से शादी कर लेते है अर्थात अपनी मां की सगी बहन की बेटी से शादी करना सीधे बहन से शादी करने जैसा है कबीर ने मुस्लिम धर्म की कुरितियों पर कड़ा प्रहार किया है और हिंदूओं के ढोंग, आडंबर और दिखावटी कर्मकांड के लिए खूब लताड़ा।
कबीर ने धर्म के नाम पर समाज को बहकाने वाले धर्म के ठेकेदारों को ललकारते हुए कहा कि...
“हिंदुन की हिंदुआई देखी, तुर्कन की तुर्काई”
अर्थात हिंदू धर्म और मुस्लिम धर्म दोनों को देखा। दोनों धर्म के लोग ईश्वर की प्राप्ति के सच्चे मार्ग से भटके हुए हैं। इस प्रकार कबीर ने उस जमाने में लोगों के आंख से धर्म का चश्मा उतारने के कोशिश की और जनमानस को सही रास्ता दिखाने का प्रयास किया।
आज धर्म पर बाजार हावी है। सीधे कहा जाए तो धर्म का बाजारीकरण हो गया है आपको भगवान के दर्शन के लिए पैसे चुकाने पड़ेंगे। ये आपकों तय करना है कि कितने रुपये वाला दर्शन करना है। अर्थात प्रसिद्ध मंदिरों अगर आप पास से भगवान का दर्शन करना चाहते हैं तो उसके अलग रेट हैं और अगर दूर से गेट के पास से ही दर्शन कर लेना चाहते हैं तो उसके लिए कम पैसे में काम बन सकता है। आज ईश्वर का दर्शन रुपये-पैसों में तौला जाने लगा है।
हमारे देश में धर्मगुरुओं की लंबी फौज खड़ी हो गई है। सबका अपना अलग तुर्रा है। शंकराचार्य ने 4 पीठों की स्थापना की थी और हर पीठ में एक प्रमुख आचार्य अर्थात शंकराचार्य की नियुक्ति की थी। वर्षो से ये परम्परा चली आ रही थी लेकिन आज आपकों एक दर्जन शंकराचार्य मिल जाएंगे, उनके हाव-भाव देख कर आप हैरान रह जाएंगे। हर शंकराचार्य खुद को असली और दूसर शंकराचार्य को नकली बताता है।
धर्म के नाम पर सतसंग करने वाले बाबाओं का बोलबाला है। इनकी अरबों की संपत्ति है। करोड़ों की गाड़ियों का काफिला है। संयोग से एक ऐसे बाबा के दर्शन हुए जिनकी चरण पादुका(चप्पल) में हीरे लगे हुए थे। एक भक्त ने बड़े उत्साह से बताया की ये महाराज जी की चरण पादुका में 50 लाख के हीरे लेगे है। उन्ही महाराज जी ने भक्तों को प्रवचन में ज्ञान दिया कि ‘माया-मोह से दूर रहकर साधु-संतों की संगत करने से ही इस संसार सागर मुक्ति मिल सकती है’। भक्त बेचारा माया-मोह से दूर रहे और दुनिया भर की सारी माया इन बाबाओं के आश्रम में लाकर दान कर दे ताकि ये धर्म का चश्मा पहले पाखंडी लोग ऐश कर सकें।
आज आपको किसी तीर्थ स्थल तक जाने की जरूरत नहीं है हर शहर, हर गली में आपको को धर्म का चश्मा पहले लुटेरे बाबा बैठे मिल जाएंगे। उनकी वेश-भूष देखकर समाज का साधारण जनमानस ईश्वर के करीब जाने की लालशा में खिंचा चला आता है। और फिर बाबा उसे अपना चेला बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं।
आजकल धर्म के साथ योग जोड़कर कुछ बाबाओं ने योग की मल्टीनेशनल कंपनी खड़ी कर ली है। प्रचीन काल से योग भारत की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहा है स्वंय श्रीकृष्ण को बहुत बड़ा योगी कहा जाता है। हमारे देश में महान योगी संत हुए है लेकिन योग का जैसा बाजारीकरण आज हो रहा है पहले कभी नहीं हुआ। योग से बीमारी का लाइलाज बीमारी तक का दावा करने में भी लोग नहीं हिचक रहे हैं। बाबा लोग योग को धंधा बनाकर एक-एक आसन को ऐसे बेच रहे हैं जैसे पीजा हट वाले तरह-तरह का पीजा बेचते हैं।
धर्म का चश्मा पहने इन बाबाओं से मिला भी कोई आसन काम नहीं इसके लिए आपको बकायदे पहले से बुकिंग करनी होगी। कुछ बाबाओं की मिलने की फीस 25 हजार रुपये है। पहले फीस जमा कराएं फीर समय लें बाबा मिलते हैं।
धन कुबेर बने बैठे इन बाबाओं के समाज के उत्थान में क्या योगदान है?, समाज के समस्याओं के दूर करने के लिए इन बाबाओं ने क्या प्रयास किए हैं?, धर्म ने नाम पर लोगों को बहकाने के अलावा देश में शांति सद्भाव बढ़ाने के लिए इन बाबाओं ने क्या किया? आज भारत की आबादी में 65% हिस्सा युवा वर्ग का है उनकों सही दिशा देने की इन बाबाओं की क्या योजना है। जिस भारत देश में ये बाबा पैदा हुए उसकी माठी के लिए इन्होंने आज तक क्या किया? ऐसे न जाने कितने सवाल है जिनके जवाब इन धर्म का चश्मा पहने बैठे इन बाबाओं के देना पड़ेगा?
धर्म का चश्मा पहले राजनीति में घुसने की जुगते में बैठे कुछ ढोंगी संतों को आम जनता सही वक्त पर आईन दिखा देगी और जिस दिन युवा पीड़ी इन बाबाओं के असली धंधे को समझ गई उस दिन इनके धर्म के चश्म को उतर कर फेंक देगी। यहां यह स्पष्ट करना जरूरी है सभी संत ऐसे नहीं है पर आज ढोंगी बाबाओं का बाजार ज्यादा गरम है हमारा उद्देश्य उन ढोंगी बाबाओं की तरफ इशारा करना था जिन्होंने धर्म का चश्मा पहन कर समाज के संसाधनों का दुरुपयोग किया है और आम जनमानस को ईश्वर प्राप्ति के सही मार्ग से भटकाया।

4 टिप्‍पणियां:

  1. जो समाज सुधार का काम 620 वर्ष पहले कबीर साहेब कर रहे थे । वो ही काम आज संत रामपाल जी महाराज कर रहे है।
    सत् साहेब

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    1. सन् २००६ में संत रामपाल ने सार्वजनिक तौर पर सत्यार्थ प्रकाश के कुछ भागों पर आपत्ति जताई थी। इससे गुस्साए आर्य समाज के हजारो समर्थको ने १२ जुलाई२००६ को करौथा के सतलोक आश्रम का घेराव कर लिया व हमला किया। बचाव में सतलोक आश्रम के अनुयायियों ने भी पलटवार किया। इस झड़प में सोनू नामक एक आर्य समाजी अनुयायी की हत्या हो गई। जिसमें संतरामपाल के विरुद्ध हत्या का केस चलाया गया व उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। कुछ महीने जेल में बिताने के बाद, २००८ में इन्हें ज़मानत पर रिहा कर दिया गया। नवंबर २०१४ में पुनः कोर्ट ने इन्हें गिरफ्तार करने का आदेश दिया। लेकिन सतलोक आश्रम बरवाला में हज़ारों समर्थकों की मौजुदगी के कारण पुलिस इन्हें गिरफ्तार नहीं कर सकी।[3] १९ नवंबर २०१४ को समर्थकों व पुलिस के बीच हुई हिंसा के बाद इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इसमें ५ महिलाओं और १ बालक की मृत्यु हुई जिनका मुकदमा संत रामपाल दास पर बनाया गया। ये बंधक बनाने के मुकदमे में २९ अगस्त २०१७ को बरी हो गए। लेकिन हत्या व देशद्रोह के मुकदमे के कारण जेल में ही हैं। ११अक्टूबर २०१८ को हिसार कोर्ट द्वारा इन्हें तथा इनके कुछ अनुयायियों को बरवाला की घटना में हुई हत्याओं का दोषी करार कर दिया गया एवं आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
      टीवी पर आश्रम दिखाया गया था उसमें स्विमिंग पूल, लेडीज टायलेट में कैमरे सब लगे थे कैसा संत हैं ये ढोंगी बाबा है। बंद करो महीमा मंडन इनका।

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  2. Rampal jail me he, ladies toilet me camera laga kr dekhte the bhul gye kya

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  3. सन् २००६ में संत रामपाल ने सार्वजनिक तौर पर सत्यार्थ प्रकाश के कुछ भागों पर आपत्ति जताई थी। इससे गुस्साए आर्य समाज के हजारो समर्थको ने १२ जुलाई२००६ को करौथा के सतलोक आश्रम का घेराव कर लिया व हमला किया। बचाव में सतलोक आश्रम के अनुयायियों ने भी पलटवार किया। इस झड़प में सोनू नामक एक आर्य समाजी अनुयायी की हत्या हो गई। जिसमें संतरामपाल के विरुद्ध हत्या का केस चलाया गया व उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। कुछ महीने जेल में बिताने के बाद, २००८ में इन्हें ज़मानत पर रिहा कर दिया गया। नवंबर २०१४ में पुनः कोर्ट ने इन्हें गिरफ्तार करने का आदेश दिया। लेकिन सतलोक आश्रम बरवाला में हज़ारों समर्थकों की मौजुदगी के कारण पुलिस इन्हें गिरफ्तार नहीं कर सकी।[3] १९ नवंबर २०१४ को समर्थकों व पुलिस के बीच हुई हिंसा के बाद इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इसमें ५ महिलाओं और १ बालक की मृत्यु हुई जिनका मुकदमा संत रामपाल दास पर बनाया गया। ये बंधक बनाने के मुकदमे में २९ अगस्त २०१७ को बरी हो गए। लेकिन हत्या व देशद्रोह के मुकदमे के कारण जेल में ही हैं। ११अक्टूबर २०१८ को हिसार कोर्ट द्वारा इन्हें तथा इनके कुछ अनुयायियों को बरवाला की घटना में हुई हत्याओं का दोषी करार कर दिया गया एवं आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
    टीवी पर आश्रम दिखाया गया था उसमें स्विमिंग पूल, लेडीज टायलेट में कैमरे सब लगे थे कैसा संत हैं ये ढोंगी बाबा है। बंद करो महीमा मंडन इनका।

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